ऑगस्ट लैंडमेसर: इश्क की ताकत और प्रतिरोध का साहस।

ऑगस्ट लैंडमेसर: इश्क की ताकत और प्रतिरोध का साहस।

इस तस्वीर को ध्यान से देखिए। कुछ घटनाएँ होती हैं जिन्हें समय दर्ज कर रहा होता है। चारों तरफ खड़े लोग नाजी सलाम कर रहे हैं और बीच में खड़ा है ऑगस्ट लैंडमेसर, बेपरवाह और बेधड़क अंदाज में। ये तस्वीर अपने आप में एक पूरी किताब है, पूरा बयान है कि जब आप अकेले हैं और सारी भीड़ दूसरी तरफ है, फिर भी सच सुनने और कहने का साहस खत्म नहीं होना चाहिए। यह एक कार्यक्रम की तस्वीर है जहाँ ऑगस्ट काम करता था। एक जहाज बनाने वाली कंपनी के नए जहाज की लांचिंग का कार्यक्रम। जब सब कर्मचारी नाजी सैल्यूट कर रहे हैं, वहाँ ठीक बीच में ऑगस्ट लैंडमेसर अपने बेखौफ अंदाज में सामान्य खड़ा है। जो हिटलर के जर्मनी को जानते हैं, उन्हें अंदाजा होगा की तत्कालीन जर्मनी में ये कितना बड़ा कदम होगा।
करीबन पचपन साल बाद जब ये तस्वीर Die Zeit में छपी तो इसने सारी दुनिया में तहलका मचा दिया। यह अभूतपूर्व था कि कोई ऐसा भी था जो उस दौर में भी अपने विचार, अपनी मान्यता के साथ खड़ा था। वो भीड़ नहीं था, अकेला था लेकिन कई सौ साल बाद उसकी तस्वीर देखकर उसके जैसे हजारों लोग तैयार हो रहे थे।

कौन है ऑगस्ट लैंडमेसर?
ऑगस्ट फ्रांज लैंडमेसर और विल्हेल्माइन मैगडालेन का इकलौता बेटा ऑगस्ट लैंडमेसर ने अच्छी नौकरी और भविष्य के लिए नाजी पार्टी की सदस्यता स्वीकार की थी। ये जर्मनी में नाजी तानाशाही का दौर था। इसके बाद वो हैंम्बर्ग (जर्मनी) में जहाज बनाने वाली कंपनी में काम करने लगा।
हैम्बर्ग में ही उसकी मुलाकात होती है इरमा एकलर से। वही इरमा जिसकी मुहब्बत उसे हिटलर की तानाशाही के खिलाफ बेखौफ होकर खड़ा कर देती है। बहरहाल चंद समय बाद दोनों शादी कर लेते हैं। इरमा एक यहूदी लड़की थी और तत्कालीन जर्मनी नस्ली श्रेष्ठता के नाम पर हिटलर के खूनी पंजों में था। ऑगस्ट को नाजी पार्टी से निकाल दिया गया। न्यूरेंबर्ग कानून के तहत उनके विवाह को अवैध घोषित कर दिया गया, लेकिन दोनों ने एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ा । वो फिर भी साथ रहते रहे। इसी बीच इरमा ने एक प्यारी बच्ची इंग्रिड को जन्म दिया।
करीब दो साल बाद इरमा और ऑगस्ट ने जर्मनी छोड़कर डेनमार्क भागने का निर्णय लिया लेकिन दुर्भाग्य से उन्हें पकड़ लिया गया। वो कैसा तानाशाह रहा होगा जो कहता था कि देश में हम तुम्हे साथ रहने नहीं देंगे और देश छोड़कर जाने नहीं देगे। नफरतें ऐसे ही की जाती हैं, ऐसे ही पाली जाती हैं। बहरहाल दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया और ऑगस्ट पर "नाजी नस्ल के अपमान" का आरोप लगाया गया। एक साल बाद सबूतों के अभाव में उसे छोड़ तो दिया गया लेकिन इस हिदायत के साथ कि अगली कोई भी गलती उसे सालों तक कारागार में सड़ाने के लिए काफी होगी।
इतनी मुश्किलों के बाद भी ऑगस्ट और इरमा एक दूसरे को छोड़ नहीं सके थे। वो दोनो अभी भी साथ थे। उन्होंने अलग होना स्वीकार नहीं किया। कुछ ही समय बाद ऑगस्ट को फिर गिरफ्तार कर लिया गया और इस बार ढाई साल जेल की सजा दी गई।
दूसरी तरफ इरमा एकलर को नाजी खुफिया पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया जहाँ जेल में उसने अपनी दूसरी बेटी इरीन को जन्म दिया। इसके बाद इरमा एकलर को यातनागृह में डाल दिया गया । उसके बाद उसका कुछ पता नहीं चला। कहीं कहीं ये जानकारी मिलती है कि उसे बर्नबर्ग नाजी यूथेनेसिया केंद्र ले जाया गया जहाँ 14000 अन्य लोगों का साथ वो भी मार दी गई।

दूसरी तरफ ऑगस्ट को जेल के बाद सेना की एक बटालियन में भेज दिया गया जो सजायाफ्ता लोगों के लिए थी। उसके बाद ऑगस्ट का भी कुछ पता नहीं चला और ये दोनों की मौत एक गुमनाम कहानी बन के रह गई।

इस इश्क की कीमत ऑगस्ट भी जानता था और इरमा भी। दोनों ने उस दौर के जर्मनी में प्रतिरोध करने का साहस जुटाया जब पूरा जर्मनी एक नस्ली नफरत और एक हैवान की सनक से चलता था। ये हमारे वक्त के लिए एक उम्मीद है, एक सीख कि अखर सारी दुनिया जब एक भीड़ के रूप में किसी ताकत के सामने नतमस्तक हो, तब भी अकेले अपनी आवाज, अपना प्रतिरोध दर्ज करो।

#एक_तस्वीर_का_सफरनामा

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