एक प्रेत का कबूलनामा..

 मैं लकीरें मिटा रहा हूं  , जो वक्त ने खींची हैं और एक भ्रम फैला दिया है कि वक्त जो लकीरें खींच देता है वो मिटाई नहीं जा सकतीं। मैं उसी के लिए इस ब्रह्माण्ड की यात्रा पर निकला हूं। घर से गांव, गांव से शहर, शहर से देश देश से पृथ्वी और अब इस पृथ्वी को पार कर मैं अंतरिक्ष के इस असीमित आंगन में आ खड़ा हुआ हूं। मैं अपने सामने एक अंधकार का द्वीप देख रहा हूं जिसके ठीक बीच में फैली हुई आकाशगंगा दूध की नदी की तरह नजर आ रही है। इसके एक तट पर बैठा हुआ मैं एक पराजित योद्धा , अंतरिक्ष के तुम महावीरों का आह्वान कर रहा हूं कि आओ, तुम्हे इस ब्रह्मांड के अनगिनत रौशन सितारों की सौगंध, जिन्हे कृष्ण-तालों में झोंक दिया गया, उस नाकाम मोहब्बत की कसम, जिसने मैरी लेक्सी (टाइटन की प्रेमिका) को आकाशगंगा में डूबने पर मजबूर कर दिया और उसकी लाश, उसकी लाश आज भी इस अंतरिक्ष की किसी नदी में तैर रही होगी। मैरी मर सकती है लेकिन उसकी लाश एक धब्बे की तरह इस  जगमगाते संसार का मुंह दागदार बनाए रखेगी....... मैं टाइटन, अपने सारे अपराधों के साथ, इस अंतरिक्ष के एक एक क्षुद्रग्रह पर एक गाथा की तरह दर्ज हो रहा हूं कि आने वाली पीढ़ियां जब इस जगह से गुजरें तो जान सकें कि उनके पूर्वज किसी शानदार प्रजाति का हिस्सा नहीं थे बल्कि वह एक हत्यारा मवाद थे जो लगातार इन पिंडों से रिस रहा था और जमाने के जादूगर उसे अमृत की बूंदों की उपमा दे रहे थे। 


#एक_प्रेत_का_कबूलनामा



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